मधुबाला दिग्गज अभिनेत्री

मधुबाला (जन्म 14 फ़रवरी, 1933, दिल्ली , ब्रिटिश भारत – मृत्यु 23 फ़रवरी, 1969, बॉम्बे [अब मुंबई], महाराष्ट्र , भारत) एक भारतीय अभिनेत्री थीं और 1950 और 60 के दशक में बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक थीं। अपनी सुंदरता और स्क्रीन पर अपनी उपस्थिति के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध, मधुबाला ने अपने लगभग दो दशकों के करियर में 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और विविध भूमिकाएँ निभाईं। उन्हें हिंदी सिनेमा की एक दिग्गज अभिनेत्री माना जाता है ।

प्रारंभिक जीवन और फ़िल्में

अताउल्लाह खान और आयशा बेगम के घर जन्मी मुमताज जहां बेगम देहलवी कई भाई-बहनों में से एक थीं। वह तब बच्ची थीं जब उनके पश्तून परिवार उनके पिता की नौकरी छूट जाने के बाद बॉम्बे आ गया और वे एक गरीब इलाके में रहने लगे जो बॉलीवुड के अग्रणी फिल्म स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज के करीब था। इसके तुरंत बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया और बसंत (1942; “स्प्रिंग”) और धन्ना भगत (1945; “ऑब्लिज्ड भगत”) में उनकी भूमिकाओं के लिए उन्हें बेबी मुमताज के नाम से पुकारा गया। उन्होंने मधुबाला नाम अपनाया और राज कपूर के साथ नील कमल (1947; “ब्लू लोटस”) के बाद उन्हें मधुबाला नाम दिया गया। अपने अभिनय विकल्पों में अपने पिता के मार्गदर्शन में मधुबाला ने हर साल कई फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया

महल और उसके बाद की परियोजनाओं में सफलता

मधुबाला की ब्रेकआउट भूमिका अलौकिक सस्पेंस ड्रामा में थी महल (1949; “द मेंशन”) में उन्होंने अशोक कुमार के साथ अभिनय किया। एक युवती के रूप में भूत का वेश धारण करने वाली भूमिका ने उन्हें काफ़ी प्रसिद्धि दिलाई।अगले वर्ष, उन्होंने बेक़ासूर (1950; “इनोसेंट”) और हँसते आँसू (1950; “लाफ़िंग टियर्स”) जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया।

1951 में मधुबाला ने अभिनय कियादिलीप कुमार के साथ रोमांटिक फ़िल्म तराना (1951; “एंथम”) में काम किया और दोनों के बीच रोमांस की शुरुआत हुई। वे फिर से लोकप्रिय फ़िल्म “तराना” में साथ नज़र आए।संगदिल (1952; “हार्टलेस”), चार्लोट ब्रोंटे के उपन्यास जेन आइरे का एक ढीला रूपांतरण , और नाटक अमर (1954; “इम्मोर्टल”) में, जो व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रहा।

बढ़ती लोकप्रियता और स्टारडम

1955 के बाद की फ़िल्मों में, मधुबाला ने अपने कुछ सबसे यादगार किरदार निभाए, जिनमें उन्होंने अक्सर बॉलीवुड के प्रमुख पुरुष कलाकारों के साथ अभिनय किया। इन वर्षों में उनकी उल्लेखनीय भूमिकाओं में कॉमेडी फ़िल्मों में एक बिगड़ैल और भोली-भाली उत्तराधिकारी की भूमिका भी शामिल है।मिस्टर एंड मिसेज ’55 (1955), गुरु दत्त द्वारा निर्देशित और सह-अभिनीत ; इस ड्रामा-ड्रामा में गरीब घुमक्कड़ों द्वारा पाली गई एक युवा महिला।फागुन (1958; “स्प्रिंग”), जो अपने गानों के लिए लोकप्रिय थी और जिसमें भारत भूषण मुख्य पुरुष पात्र थे; थ्रिलर काला पानी (1958; “लाइफ सेंटेंस”) में एक निडर रिपोर्टर, जिसमें देव आनंद सह-कलाकार थे; कॉमेडी फिल्म काला पानी (1958; “लाइफ सेंटेंस”) में एक स्वतंत्र, आधुनिक महिलाचलती का नाम गाड़ी (1958; “दैट विच रन इज़ अ कार”), जिसमें किशोर कुमार मुख्य भूमिका में थे ; औरथ्रिलर हावड़ा ब्रिज (1958) में कैबरे कलाकार के रूप में , जिसमें अशोक कुमार उनके साथ थे। ये सभी फ़िल्में व्यावसायिक रूप से सफल रहीं और मधुबाला की लोकप्रियता और जन-आकर्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मुगल-ए-आज़म और बाद की फिल्में

1960 में मधुबाला ने बॉलीवुड की महाकाव्य ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘अनारकली’ में 16वीं सदी की दरबारी नर्तकी और मुगल सम्राट अकबर के बेटे राजकुमार सलीम (दिलीप कुमार द्वारा अभिनीत) की प्रेमिका के रूप में अपने करियर की निर्णायक भूमिका निभाई।मुग़ल-ए-आज़म (1960; “द ग्रैंड मुग़ल”)। इस फ़िल्म में मधुबाला के अभिनय को आज भी अभूतपूर्व और उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ अभिनय के रूप में सराहा जाता है।

बिंदिया गोस्वामी

Bindiya Goswami : बिंदिया गोस्वामी एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिनका करियर और निजी जीवन दोनों ही काफी दिलचस्प रहे। फिल्म इंडस्ट्री में उनके कदम रखने का श्रेय हेमा मालिनी की मां को जाता है।

बिंदिया गोस्वामी भारतीय सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्री हैं। उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में अपनी अभिनय  से दर्शकों का खूब दिल जीता। उनका जन्म 6 जनवरी 1962 को राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। अपने अभिनय और तरह-तरह की भूमिकाओं से उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी एक खास पहचान बनाई। आज उनके जन्मदिन पर आइए हम उनके जीवन और करियर के कुछ अहम पहलुओं के बारे में जानते हैं…

हेमा मालिनी की मां ने दिलाया फिल्मों में मौका

बिंदिया गोस्वामी की फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री भी काफी दिलचस्प रही। जब वह किशोरी थीं, तब हेमा मालिनी की मां ने उन्हें एक पार्टी में देखा और उन्हें लगा कि बिंदिया का लुक उनकी बेटी हेमा मालिनी से काफी मिलता-जुलता है। इसके बाद उन्होंने ने बिंदिया को फिल्म निर्माताओं से मिलवाया और उनका फिल्मी करियर शुरू करने में मदद की।

करियर की सबसे बड़ी हिट रही गोलमाल

बिंदिया की पहली हिंदी फिल्म ‘जीवन ज्योति’ (1976) थी। इस फिल्म से वह दर्शकों पर कुछ खास जादू नहीं चला सकी थीं। फिल्म की असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और निर्देशक बासु चटर्जी की फिल्म ‘खट्टा मीठा’ (1977) और ‘प्रेम विवाह’ (1979) में अपनी अदाकारी से सबका ध्यान आकर्षित किया। उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म ‘गोलमाल’ (1979) थी। इस जबरदस्त कॉमेडी फिल्म में बिंदिया के अभिनय को दर्शकों ने काफी सराहा था। इसके बाद, उन्होंने ‘दादा’ (1979) जैसी सफल फिल्मों में भी अभिनय किया। अपने करियर में उन्होंने विनोद मेहरा के साथ कई फिल्मों में काम किया। इसके अलावा फिल्म ‘शान’ (1980) में शशि कपूर के साथ उनकी जोड़ी को खूब पसंद किया गया।

ऐसी रही लव लाइफ

एक समय पर बिंदिया गोस्वामी और विनोद मेहरा का नाम बॉलीवुड में एक चर्चित जोड़ी के रूप में लिया जाता था। दोनों के बीच गहरी दोस्ती और प्यार की शुरुआत फिल्मों के सेट पर हुई थी। बिंदिया और विनोद ने शादी भी की, लेकिन यह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सका और चार साल बाद दोनों का तलाक हो गया। इसके बाद बिंदिया ने 1985 में फिल्म निर्देशक जेपी दत्ता से शादी की। जेपी दत्ता से शादी के बाद बिंदिया ने फिल्मों से दूरी बनाई और अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का निर्णय लिया।

जेपी दत्ता से शादी के बाद की इंडस्ट्री में नई शुरुआत

जेपी दत्ता से शादी के बाद बिंदिया ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी सक्रियता को काफी ज्यादा सीमित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपने पति की फिल्मों में उनकी मदद करनी शुरू कर दी। वह जेपी दत्ता की फिल्मों जैसे ‘बॉर्डर’ (1997), ‘रिफ्यूजी’ (2000), ‘एलओसी कारगिल’ (2003) और ‘उमराव जान’ (2007) के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग का काम करने लगीं। इन फिल्मों में उन्होंने रानी मुखर्जी, करीना कपूर, और ऐश्वर्या राय जैसी अभिनेत्री के लिए कपड़े डिजाइन किए। इस काम से उन्हें कॉस्ट्यूम डिजाइनर के रूप में भी खास पहचान मिली।

मुंबई। फिल्म ‘गोलमाल’ (1979) की उर्मि यानी एक्ट्रेस बिंदिया गोस्वामी 55 साल की हो चुकी हैं। 6 जनवरी, 1962 को जन्मीं बिंदिया ने खुद से 12 साल बड़े डायरेक्टर जेपी दत्ता से भाग कर शादी की थी। दरअसल, बिंदिया की फैमिली इस रिश्ते के खिलाफ थी, क्योंकि  जेपी दत्ता उम्र में उनसे काफी बड़े थे। लेकिन बिंदिया ने बगावत का रास्ता अपनाया और 1985 में भागकर शादी कर ली। पहले से तलाकशुदा थीं बिंदिया…

– दरअसल, बिंदिया गोस्वामी पहले से शादीशुदा थी। उनकी पहली शादी विनोद मेहरा (अब इस दुनिया में नहीं) से हुई थी, लेकिन दोनों ज्यादा समय तक साथ नहीं रहे और तलाक हो गया। इसके बाद बिंदिया और जेपी दत्ता एक-दूसरे के करीब आए और दोनों ने अपनी जिंदगी एक साथ बिताने का फैसला किया।

जब बिंदिया बोलीं, रोमांटिक नहीं हैं मेरे हसबैंड…

पर्सनली जेपी काफी इंट्रोवर्ट शख्स हैं। बिंदिया ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘हम दोनों बिलकुल विपरीत हैं। वो मुश्किल से बात करते हैं और मैं हर टाइम बोलती रहती हूं। वो बिल्कुल भी रोमांटिक नहीं हैं। मुझे बाहर जाना, घूमना पसंद है, वो घर पर ही बैठना पसंद करते हैं’।