कांग्रेस के गृह मंत्री के ठिकानों पर ED की कार्रवाई में आया ट्विस्ट, डिप्टी सीएम बोले- हां दिया था…

Gold Smuggling Case: डिप्टी सीएम शिवकुमार ने परमेश्वर का बचाव करते हुए उन्हें “स्वच्छ और ईमानदार” व्यक्ति बताया और कहा कि वह एक कानून का पालन करने वाले नागरिक और बड़े नेता हैं।

 

Home Minister

 Parameshwara: कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई के मामले में एक नया ट्विस्ट आ गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने एक्ट्रेस को शादी का तोहफा दिया था और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। डिप्टी सीएम ने कहा कि मैंने गृह मंत्री से बात की, वहां पर एक शादी समारोह था।

हम उपहार देते हैं-डिप्टी सीएम

उन्होंने आगे कहा कि हम सार्वजनिक जीवन में हैं, हम संस्थाएं चलाते हैं। अपने परिचित लोगों के प्रति सम्मान के तौर पर हम ढेर सारे उपहार देते हैं, हम 1 रुपया, 10 रुपये, 10 लाख रुपये, 5 लाख रुपये देते हैं। मुझे लगता है कि उन्होंने भी कोई उपहार दिया होगा। यह एक विवाह था, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

गृह मंत्री का किया बचाव

डिप्टी सीएम शिवकुमार ने परमेश्वर का बचाव करते हुए उन्हें “स्वच्छ और ईमानदार” व्यक्ति बताया और कहा कि वह एक कानून का पालन करने वाले नागरिक और बड़े नेता हैं।

रान्या राव को लेकर क्या बोले डिप्टी सीएम

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने एक्ट्रेस रान्या राव को लेकर कहा कि एक्ट्रेस पर जिस तरह की गतिविधियों का आरोप है, उसका कोई भी नेता समर्थन नहीं करेगा। उसने जो भी गतिविधियां की है वह उसका निजी मामला है और कानून अपना काम करेगा।

ED ने गृह मंत्री के ठिकानों पर की छापेमारी

ED ने गृहमंत्री परमेश्वर से जुड़े कई शैक्षणिक संस्थानों में छापेमारी की, जो सोना तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित है। यह मामला रान्या राव और अन्य के खिलाफ चल रही जांच से जुड़ा है, जिन्हें 3 मार्च को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर करोड़ों रुपये के सोने की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

एजेंसी का साथ देने का दिया निर्देश- जी परमेश्वर

गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि एजेंसी के अधिकारियों ने तीन संस्थानों और एक विश्वविद्यालय का दौरा किया और पिछले पांच वर्षों के वित्तीय रिकॉर्ड मांगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया है।

‘बिहार चुनाव के लिए ये सब…’, पहलगाम हमले को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दिया बड़ा बयान

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा अटैक के नाम पर वोट मांगे थे। पीएम ने कहा था कि पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट करें।

Pahalgam Attack: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने पहलगाम आतंकी हमले के बारे में कपिल सिब्बल के साथ एक पॉडकास्ट में कहा कि यह हमला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को ध्यान में रखकर किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी इस तरह की घटनाओं का इस्तेमाल चुनावी लाभ के लिए करती है, जैसा कि उन्होंने पुलवामा हमले और उसके बाद की सर्जिकल स्ट्राइक के संदर्भ में भी कहा। सिन्हा ने यह भी सवाल उठाया कि पहलगाम हमले के दौरान सुरक्षा बल कहां थे और बीजेपी पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया।

पुलवामा अटैक के नाम पर मोदी ने मांगे वोट

पॉडकास्ट में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा अटैक के नाम पर वोट मांगे थे। पीएम ने कहा था कि पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट करें। इसलिए जो कुछ भी हुआ है उसको लेकर मैं मानता हूं कि बिहार चुनाव को लेकर किया जा रहा है। उन्होंने बीजेपी पर तिरंगा यात्रा निकालकर क्रेडिट लेने का भी आरोप लगाया।

पुलवामा का राज आज तक नहीं खुला

टीएमसी के यशवंत सिन्हा कह रहे हैं बिहार इलेक्शन के लिए पहलगाम अटैक कराया गया

पॉडकास्ट के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि आखिर यह क्यों नहीं पूछा जा रहा कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, इसका जिम्मेदार कौन है? इस सवाल का जवाब देते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि पुलवामा का खुलासा आज तक नहीं हुआ। इसी तरह पहलगाम आतंकी हमले का भी आज तक खुलासा नहीं होगा। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आखिर पहलगाम में सुरक्षा के लिए एक भी सिपाही क्यों नहीं था? वे हमला करके भाग गए, उनके बारे में जानकारी क्यों नहीं मिल सकी। जमीन निगल गई या आसमान खा गया।

सोशल मीडिया पर भड़के लोग

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोग भड़क गए। एक यूजर ने लिखा कि भारत में हर 2 महीने में कोई न कोई चुनाव होता है तो क्या सब चुनाव के लिए हमले होते हैं? एक अन्य यूजर ने लिखा यशवंत सिन्हा को कौन जानता है जिसका का कोई पूछ नही और न अपनी ताकत दूसरे के भरोसे कूदका मारना चाहता है। ऐसे देश विरोधी स्टेटमेंट पर मोदी जी इसे जेल मे बंद करें।

कौन है यशवंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा एक भारतीय राजनीतिज्ञ, पूर्व नौकरशाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व वरिष्ठ नेता हैं, जो बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। उन्होंने भारत के वित्त मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया, दोनों बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में। 2022 में विपक्ष ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया।

पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को भारत ने दिया संदेश, कहा- रिश्ते बेहतर बनाने है तो…

Randhir Jaiswal: रणधीर जायसवाल ने सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने पर कहा कि यह संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बंद नहीं कर देता। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता।

 

India Turkey relations: पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को भारत ने कड़ा संदेश दिया है। भारत ने कहा कि वो पाकिस्तान से कहे कि आतंकवाद का समर्थन करना बंद कर दे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तुर्की पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन बंद करने और दशकों से उसके द्वारा पोषित आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य कार्रवाई करने का पुरजोर आग्रह करेगा।

ट्रंप की टिप्पणी पर क्या बोले जायसवाल

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत और तुर्की के रिश्तों को लेकर कहा कि रिश्ते एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार बनते हैं। रणधीर जायसवाल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोलान्ड ट्रंप की टिप्पणी पर कहा कि पीओके पर हम किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं लेने वाले है। भारत और पाकिस्तान के बीच केवल आपस में ही इस मुद्दे पर बात होगी। किसी तीसरे देश की इसमें जरूरत नहीं है। लेकिन बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते है।

‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता’

रणधीर जायसवाल ने सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने पर कहा कि यह संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बंद नहीं कर देता। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता।

पाकिस्तान को तुर्की ने उपलब्ध कराए हथियार

बता दें कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई में तुर्किये में निर्मित ड्रोनों का इस्तेमाल किया था। इसके अलावा पाकिस्तान को वैचारिक और नैतिक समर्थन के अलावा तुर्की ने हथियार भी मुहैया कराए।

तुर्की पाकिस्तान का करता रहा है समर्थन

इससे पहले सरकार ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल लद्दाख के लेह से लेकर गुजरात के सर क्रीक तक पूरी पश्चिमी सीमा पर 36 जगहों पर भारतीय हवाई क्षेत्र में कई बार घुसपैठ और उल्लंघन करने के लिए किया गया था। बता दें कि तुर्की लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में भारतीय क्षेत्र पर आक्रमण और अवैध कब्जे में पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है।

राजस्थान पुलिस का मिला नया डीजी, सीनियर IPS अधिकारी का हुआ प्रमोशन; 1 जून से संभालेंगे पदभार

Rajasthan News: राज्य सरकार ने 1994 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आनंद श्रीवास्तव को पुलिस महानिदेशक (डीजी) के पद पर पदोन्नत करने के आदेश जारी किए हैं।

Rajasthan News: राजस्थान पुलिस को नया नेतृत्व मिलने जा रहा है। राज्य सरकार ने 1994 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आनंद श्रीवास्तव को पुलिस महानिदेशक (डीजी) के पद पर पदोन्नत करने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश 1 जून 2025 से प्रभावी होगा, जब वर्तमान डीजी हेमंत प्रियदर्शी 31 मई को सेवानिवृत्त होंगे। आनंद श्रीवास्तव जयपुर पुलिस कमिश्नर, कोटा, भरतपुर, और उदयपुर रेंज IG सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।

नेतृत्व क्षमता की पहचान

आनंद श्रीवास्तव का पुलिस सेवा में लगभग तीन दशकों का अनुभव रहा है। वे जयपुर पुलिस आयुक्त के रूप में साढ़े चार साल से अधिक कार्यकाल के दौरान अपनी कार्यकुशलता, दृढ़ता और निष्पक्षता के लिए पहचाने गए। मौजूदा समय में वे एडीजी (आर्म्ड बटालियन) के रूप में कार्यरत हैं।
बता दें, उनकी नियुक्ति को न सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय, बल्कि राजस्थान पुलिस के लिए एक प्रेरणादायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। कानून व्यवस्था को लेकर उनकी दूरदर्शिता और अपराध नियंत्रण में अपनाए गए नवाचारों के चलते उन्हें पुलिस महकमे में एक सशक्त नेतृत्वकर्ता के रूप में जाना जाता है।

पुलिस महकमे में खुशी की लहर

गौरतलब है कि आनंद श्रीवास्तव की पदोन्नति की खबर आते ही पुलिस विभाग में उत्साह का माहौल है। सहयोगी अधिकारियों और अधीनस्थों ने उन्हें सोशल मीडिया और व्यक्तिगत रूप से बधाइयां दी हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनका अनुभव, ईमानदारी और नेतृत्व राजस्थान पुलिस को नई दिशा देगा।
राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि श्रीवास्तव का कार्यभार 1 जून से प्रभावी होगा। माना जा रहा है कि वे राज्य में कानून व्यवस्था को और अधिक चुस्त-दुरुस्त करने के साथ-साथ पुलिसिंग में तकनीकी सशक्तिकरण पर भी जोर देंगे।

Who Is Elias Rodriguez? Main Suspect In Deadly Israeli Embassy Shooting

Who Is Elias Rodriguez? Main Suspect In Deadly Israeli Embassy Shooting

 

New Delhi:

हिंदी भाषा की उत्पत्ति

हिंदी भाषा भारतीयों के लिए महत्त्वपूर्ण है। हिंदी भाषा को समझने के लिए हमें इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की ओर देखना चाहिए। हिंदी का उद्भव संस्कृत से हुआ है और यह एक इंदो-आर्य भाषा है। हिंदी का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी बढ़ा। गांधीजी और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हिंदी का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया और इसका समर्थन किया।

हिंदी भाषा की उत्पत्ति

हिंदी भाषा की उत्पत्ति का इतिहास भारत के सांस्कृतिक और भाषाई विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदी भाषा भारतीय आर्य भाषाओं के अंतर्गत आती है और इसका विकास कई चरणों में हुआ है। हिंदी भाषा की जड़ें संस्कृत में मिलती हैं, जो भारत की सबसे प्राचीन और पवित्र भाषा मानी जाती है। संस्कृत, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत, वैदिक काल (1500 ई.पू. – 500 ई.पू.) से साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों की भाषा रही है।

भारतीय भाषाओं के विकास का आधार संस्कृत भाषा ही है और हिंदी भी इससे प्रभावित रही है। संस्कृत से कई प्राचीन भारतीय भाषाएं विकसित हुईं, जिन्हें प्राकृत कहते हैं। प्राकृत से अपभ्रंश भाषाओं का विकास हुआ, जो प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय भाषाओं के बीच की कड़ी मानी जाती हैं। 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच अपभ्रंश का प्रचलन था। अपभ्रंश भाषाएँ वे रूप थीं, जो धीरे-धीरे स्थानीय बोलियों में बदल गईं और आधुनिक भारतीय भाषाओं का आधार बनीं। खड़ी बोली, ब्रजभाषा और अवधी जैसी हिंदी की कई बोलियाँ अपभ्रंश से निकलीं।

हिंदी भाषा के विकास के मुख्य चरण, आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल

1000 ई. से 1500 ई. तक के समय को आदिकाल कहा जाता है। उस समय साहित्य भी विकसित नहीं हुआ था। अपने विकास की शुरुआत में 1000 से 1100 ई तक हिंदी अपने अपभ्रंश के निकट ही थी। समय के साथ परिवर्तन हुआ और 1500 ई. आते-आते हिंदी भाषा अपने स्वतंत्र रूप में खड़ी हो चुकी थी। 1500 ई. के समय दोहा, चौपाई, छप्पय, दोहा, गाथा आदि छंदों की रचनाएं होना शुरू हो गई थी। मध्यकाल की अवधि 1500 से 1800 ई. तक थी। इस समय हिंदी भाषा में बहुत परिवर्तन अधिक परिवर्तन हुए थे।

फारसी के लगभग 3500 शब्द, अरबी के लगभग 2500 शब्द, पश्तों भाषा के लगभग, 50 शब्द और तुर्की भाषा के 125 शब्द हिंदी की शब्दावली में जुड़ गए थे। उसे समय यूरोप के देशों के साथ व्यापार संपर्क भी बढ़ रहा था। इस वजह से पुर्तगाली, स्पेनी, फ्रांसीसी और अंग्रेजी शब्दों के कई शब्द हिंदी भाषा में शामिल हुए। 1800 ई से लेकर वर्तमान तक का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है। हिंदी भाषा के आधुनिक काल में देश में अधिक परिवर्तन हुए हैं। उसे समय अंग्रेजी भाषा का प्रभाव देश की भाषा और संस्कृति पर पढ़ने लगा था। अंग्रेजी शब्दों को हिंदी भाषा के शब्दों के साथ प्रयोग किया जाने लगा था। आधुनिक काल के चार प्रमुख उपकाल हैं तथा इन उपकालों में कई कवियों और साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को समृद्ध किया।

हिंदी भाषा के साहित्य का विकास, आदिकाल, भक्तिकाल, रितिकल और आधुनिक काल

हिंदी भाषा का साहित्य चार प्रमुख कालों में बंटा हुआ है। ये काल क्रमश: आदिकाल, भक्तिकाल, रितिकल और आधुनिक काल हैं। आदिकाल को वीरगाथा काल भी कहा जाता है। आदिकाल समय का साहित्य वीरता और शौर्य की कहानियों पर आधारित था। भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्णिम युग कहा जाता है। भक्ति काल में भक्ति आंदोलन को शुरू किया गया था और धार्मिक साहित्यों की रचना इस काल में की गई थी। इस काल के प्रमुख कवि कबीर दास और गुरु नानक जी माने जाते हैं। रीतिकाल के समय में श्रृंगार रस और नायिका भेद को अत्यधिक प्रधानता थी। रीतिकाल के कवियों ने नायिका भेद प्रेम सौंदर्य जैसे विषयों पर अपनी रचनाएं की थी।

आधुनिक काल के चार प्रमुख उपकाल भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावाद और प्रगतिवाद है। भारतेंदु युग प्रमुख कवि और नाटककार भारतेंदु हरिश्चंद्र की वजह से जाना जाता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी में राष्ट्र प्रेम और समाज सुधार के विचारों को प्रस्तुत किया था इसी युग में हिंदी गद्य साहित्य का भी विकास हुआ था। द्विवेदी युग के प्रमुख लेखक महावीर प्रसाद द्विवेदी थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य में नैतिकता और सुधारवादी दृष्टिकोण के बारे में लिखा था। छायावाद युग में प्रकृति, प्रेम और रहस्यवाद अपने चरम पर था। छायावाद के प्रमुख कवियों की बात करें तो इनमें जयशंकर प्रसादसुमित्रानंदन पंतसूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा को गिना जाता है। प्रगतिवाद का साहित्य समाजवादी विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित था। प्रतिवाद में मुख्य रूप से सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’नागार्जुनमुक्तिबोध, और त्रिलोचन मशहूर हुए।

उपसंहार

हम सभी को हिंदी भाषा के महत्व को समझने और समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हिंदी भारत के साथ दुनिया के अन्य कई देशों में भी बोली जाती है। हमें इसके साहित्य, संगीत, कला, और विभिन्न धार्मिक तथा सांस्कृतिक अधिकार को समझने और प्रसारित करने का प्रयास करना चाहिए। भारतीयों को हिंदी भाषा को प्रमोट करके हमारे देश की एकता को मजबूती देने का काम करना चाहिए, ताकि हम सभी भारतीय एक होकर आगे बढ़ सकें।

T.N. government moves Supreme Court to transfer PIL against laws taking away Governor’s power to appoint Vice-Chancellors

Says, the top court was already seized of connected matters and hence, the case filed in the Madras High Court should be transferred to the Supreme Court

The Tamil Nadu government on Wednesday (May 21, 2025) informed the Madras High Court of having filed a petition in the Supreme Court seeking to transfer to the latter a public interest litigation (PIL) petition currently pending before the High Court, challenging the validity of State laws that take away the Governor’s power to appoint Vice-Chancellors.

Appearing before a summer vacation Bench of Justices G.R. Swaminathan and V. Lakshminarayanan, senior counsel P. Wilson, representing the Tamil Nadu Higher Education Department, said the transfer petition had been filed in view of connected cases pending before the top court.

Higher Education Secretary C. Samayamoorthy also filed a memo before the High Court, contending that the PIL petition was politically motivated as it had been filed by Kutty, alias K. Venkatachalapathy, who was a Bharatiya Janata Party (BJP) office-bearer in Tirunelveli district.

Pro-Russia former Ukraine politician shot dead outside school in Spain

 

Andriy Portnov was previously a senior aide to removed former President Viktor Yanukovych and had been the subject of US sanctions.

A Ukrainian former politician has been shot dead by unknown assailants outside a school in Madrid, Spain, authorities said.

The man was identified by Spain’s Ministry of Interior as Andriy Portnov, who was previously a senior aide to Ukraine’s former President Viktor Yanukovych

The attack on Wednesday morning took place outside the gates of the American School in the Spanish capital’s upscale neighbourhood of Pozuelo de Alarcon.

Police were called at about 9:15am (07:15 GMT) and notified that a man had been shot in the street.

Witnesses quoted by the police said he was shot “several times” in the head and body by more than one assailant. The attack occured as Portnov prepared to get into a vehicle, a police source told the AFP news agency, adding that the assailants then fled on foot to a wooded area.

One student at the school, Timur Ayaokur, told the news agency that he and his classmates first heard there had been a shooting about 20 minutes into their first class of the day.

I thought it was a drill,” said the 17-year-old.

His mother, Elina Ayaokur, told the agency that she knew the victim, although not well.

“I didn’t know there were Ukrainian politicians there,” she said, adding that the victim had a son in the 4th grade.

“I was in shock, like how is it possible that this happens here?”

Portnov had been closely tied to Ukraine’s pro-Russian former leader Yanukovych, having served as deputy head of the presidential office from 2010 to 2014.

During Yanukovych’s time in power, Portnov was involved in drafting legislation aimed at persecuting participants of the 2014 revolution in Ukraine.

Portnov and Yanukovych both fled Ukraine for Russia in 2014. Since then, Portnov has faced investigations in Ukraine over allegations of treason and embezzlement, and was targeted in 2015 with European Union sanctions, although those and the charges were later dropped.

In 2021, the US Treasury Department said he had “cultivated extensive connections to Ukraine’s judicial and law enforcement apparatus through bribery”.

After fleeing Ukraine for Russia, Portnov lived for a time in Austria, before returning to his homeland after the election of President Volodymyr Zelenskyy in 2019. According to reports, he fled Ukraine again after Russia launched its full-scale invasion in 2022, despite a ban on military-age men leaving the country.

In the wake of Russia’s invasion, Spain has seen several high-profile crimes involving Russians and Ukrainians on its soil.

In 2022, six letter bombs were sent to targets around Spain, with a retired civil servant suspected of having pro-Kremlin sympathies jailed over the campaign.

In February 2024, a Russian pilot who defected to Ukraine with his helicopter was fatally shot near Alicante.

Bad news for Anti-India Yunus as Bangladesh Army Chief reaches out India’s friend for…, Another coup in Bangladesh?

Bangladesh Army Chief General Waqar Uz Zaman visited Russia on April 7 where he reportedly met Russian Deputy Defense Minister General Fomin and Army Chief General Oleg Salyukov.

Dhaka: After former Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina left Bangladesh on August 5, 2024, Bangladesh has been at the centre of power struggle between the interim government of Bangladesh led by Muhammad Yunus and the Bangladesh Army under Army Chief General Waqar Uz Zaman. Many media reports have talked about more possible coups in Bangladesh but as of now, the interim government of Bangladesh led by Muhammad Yunus remain in power. However, a recent turn of event when Bangladesh Army Chief General Waqar Uz Zaman visited Russia has caught eyeballs across the world.

Bangladesh Army Chief General Waqar Uz Zaman visited Russia on April 7 where he reportedly met Russian Deputy Defense Minister General Fomin, Army Chief General Oleg Salyukov, as well as representatives of defense firms Rostec, Rosoboronexport and Rosatom. Media reports noted that the discussions could have been around possibilities of cooperation in the defense sector.

ब्रिटेन, फ़्रांस और कनाडा की ग़ज़ा पर हमले बंद करने की मांग, क्या इन देशों की इसराइल से हमदर्दी ख़त्म हो रही है?

7 अक्तूबर 2023 के हमास के हमलों के बाद इसराइल ने उसके ख़िलाफ़ ऑपरेशन शुरू किया था. इसके लिए उसके पास हथियारों का एक बड़ा ज़खीरा था. इनमें से कई हथियार अमेरिका ने दिए थे और बाक़ी हथियारों के लिए उसने इसराइल को फंडिंग दी थी.

इसराइल के अन्य यूरोपीय सहयोगी भी उसके इस संकट की घड़ी में साथ खड़े थे.

इसराइल के प्रति उनकी गहरी संवेदना और एकजुटता थी, जो 7 अक्तूबर के हमले में 1200 लोगों की मौत के बाद पैदा हुई थी. इस हमले में मारे गए ज़्यादातर लोग इसराइली थे. इसके अलावा 251 लोगों को हमास ने बंधक भी बना लिया था और उन्हें ग़ज़ा में घसीटे जाने की तस्वीरों ने भी इसराइल के प्रति अंतरराष्ट्रीय जगत की हमदर्दी पैदा की थी.

लेकिन ऐसा लगता है कि अब इसराइल के प्रति यह हमदर्दी ख़त्म होती जा रही है. कम से कम फ़्रांस, ब्रिटेन और कनाडा के संबंध में ऐसा कहा जा सकता है.

India-Turkiye: भारत के खिलाफ PAK को हथियार देने में अर्दोआन के परिवार का हाथ, विशेषज्ञ क्यों बता रहे नाकाम?

भारत के खिलाफ संघर्ष मेंपाकिस्तान को तुर्किये ने कैसे मदद पहुंचाई? इस मदद को भेजने में राष्ट्रपति अर्दोआन के परिवार की क्या भूमिका रही? कैसे पहले उनकी बेटी और फिर उनके दामाद का नाम पाकिस्तान के मददगारों में जुड़ गया? आइये जानते हैं…

भारत की तरफ से पाकिस्तान में छिपे आतंकियों को निशाना बनाने के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने तय लक्ष्य हासिल किए। इस अभियान से न सिर्फ आतंक के आकाओं का खात्मा किया गया, बल्कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर अपना आतंकपरस्त चेहरा भी दुनिया के सामने रख दिया। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के हमलों का माकूल जवाब दिया और उसके सभी हथियारों को नाकाम कर दिया। फिर चाहे वह चीन के हथियार रहे हों या तुर्किये के।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक और विषय पूरी दुनिया की नजर में आ गया। यह था भारत पर हमले में पाकिस्तान को तुर्किये का समर्थन। चौंकाने वाली बात यह है कि यह समर्थन सीधा तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन की तरफ से आया, जिन्होंने हर कीमत पर पाकिस्तान की मदद करने की बात कही। इतना ही नहीं अर्दोआन का परिवार भी परोक्ष रूप से भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान की मदद करता नजर आया।

भारत के खिलाफ संघर्ष में तुर्किये ने कैसे की पाकिस्तान की मदद?
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया। तो तुर्किये ने ही पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई के लिए ड्रोन्स मुहैया कराए थे। इतना ही नहीं तुर्किये ने पाकिस्तान को न सिर्फ ड्रोन्स दिए, बल्कि उन ड्रोन्स के संचालक भी उपलब्ध कराए।
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए जो ड्रोन्स इस्तेमाल किए, उनमें बायकर यीहा-III ड्रोन शामिल था। बायकर यीहा-III ड्रोन्स का निर्माण तुर्किये की ‘बायकर’ नाम की कंपनी करती है, जो कि रजब तैयब अर्दोआन के दामाद सेल्युक बायराक्तर की कंपनी है। सेल्युक का निकाह 2016 में अर्दोआन की बेटी सुमैये अर्दोआन से हुई थी।
क्या है बायकर कंपनी का इतिहास, सेल्युक कितने प्रभावी?
बायकर कंपनी की स्थापना ओज्डेमिर बायराक्तर ने बायकर एयरोस्पेस के तौर पर 1984 में की थी। तब सेल्युक महज 5 साल के थे। 2000 के दशक में जब सेल्युक पढ़ाई कर ही रहे थे तब ओज्डेमिर ने अपनी कंपनी को मानवरहित हवाई प्रणालियां बनाने का काम शुरू किया। 2007 में पढ़ाई पूरी करने के बाद सेल्युक ने अपने पिता की कंपनी जॉइन की। इसके बाद तुर्किये में बायराक्तर सीरीज के कई ड्रोन्स बनाए गए। बायकर कंपनी इस दौरान तुर्किये सरकार की साझेदार भी बनी और इसके कई ड्रोन्स और हथियार तुर्किये की सेना की तरफ से इस्तेमाल किए जाते हैं।
सेल्युक मौजूदा समय में बायकर में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) हैं। उनके पिता ओज्डेमिर का 2021 में निधन हो गया। इसके बाद से वे कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं। बायकर कंपनी ने अपने ड्रोन्स को न सिर्फ अर्मेनिया से लड़ रहे अजरबैजान को बेचा है, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेनी सेना को भी मदद पहुंचाई है।
भारत के अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान ने इन ड्रोन्स का लगातार इस्तेमाल किया। 10 मई को इन ड्रोन्स को पंजाब के रिहायशी इलाकों में वार करने के लिए भेजा गया था। हालांकि, भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने में इनमें से अधिकतर ड्रोन्स नाकाम रहे। डीजीएमओ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि कई ड्रोन्स को खत्म करने के लिए भारत ने लेजर वेपन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया।
तुर्किये के हथियारों पर क्या बोले विशेषज्ञ?
अमेरिका के थिंक टैंक अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (एईआई) के सीनियर फेलो माइकल रूबिन के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद तुर्किये का खुद को सैन्य निर्यातक के तौर पर पे करने के दिन अब शायद खत्म होने को आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर पाकिस्तान के तुर्किये में बने ड्रोन्स भारत के खिलाफ संघर्ष में पूरी तरह नाकाम हो गए। भारत ने या तो उन्हें मार गिराया या वे अपने लक्ष्य को भेदने में असफल रहे। भारत ने अधिकतर बायकर ड्रोन्स को सीमापार आते ही मार गिराया। इनमें से कई ड्रोन्स तो पाकिस्तान की सीमा में रहते ही मार गिराए गए। भारत की हवाई रक्षा प्रणाली को इनकी पहचान करने, तुर्किये के इन ड्रोन्स को ट्रैक करने और इन्हें मार गिराने में कोई मुश्किल नहीं आई।
रुबिन ने आगे कहा, “जिस तरह आतंकी और आतंकियों के पनाहगाहों को अपने रवैये के लिए नतीजे भुगतने पड़े हैं, उसमें एक न्याय झलता है। भारत से पिटने के बाद पाकिस्तान जब अपनी एयरफील्ड्स का निर्माण कर रहा है, तब तुर्किये को भी दुनिया में सैन्य ड्रोन्स और अन्य हथियार प्रणाली के सप्लायर के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से बनाना होगा।”